शोध ऐसा हो जिससे समाज को भविष्य में कुछ मिले : शक्ति सिन्हा

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शोध ऐसा हो जिससे समाज को भविष्य में कुछ मिले : शक्ति सिन्हा 
·         सामाजिक समस्यों पे शोध हो तो बेहतर होगा : प्रोफेसर एसएन चौधरी
नई दिल्ली: अपनी भाषा हिंदी में साहित्य से इतर अन्य विषयों में मौलिक शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दैनिक जागरण  ज्ञानवृत्ति की घोषणा की गई है। इस की तहत शोधार्थियों के सवालों और जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए  दिल्ली में कनॉट प्लेस  आक्सफोर्ड बुक स्टोर में  'दैनिक जागरण ज्ञानवृत्तिविशेष संवाद का आयोजन किया गया। शोध करने के इच्छुक शोधार्थी यहा आवेदन करने से लेकर ज्ञानवृत्ति की चयन प्रक्रिया और उसके बाद शोध की प्रक्रिया तक के तमाम पहलुओं के बारे में  गहन परिचर्चा की गयी।   इस संवाद में निर्णायक मंडल के दोनों सदस्यों  भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएन चौधरी और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरीनई दिल्ली केनिदेशक शक्ति सिन्हा के साथ साथ वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव भी मौजूद थे और इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने ने किया ।


 नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरीनई दिल्ली के निदेशक शक्ति सिन्हा ने इस अवसर पे बोलते हुए कहा की “यह हमारे देश की दुर्भाग्य है की हिंदी में शोधों का अभाव है,हमारे लोकपरम्परा में इतना कुछ है जिसमे शोध की जरूरत है ,लोग अपनी भाषा में शोध करे यही ज्ञानवृत्ति का प्रमुख मकसद है । शोधार्थी अगर अपने आस-पास के विषय पर शोध करे तो वह ज्यादा उचित होगा, शोध ऐसा हो जिससे समाज को भविष्य में कुछ मिले।” आर्थिक कूटनीतिक विषय को समझाते हुए श्री सिन्हा ने कहा  “हमारी अर्थव्यस्था कैसी है उस पर आगे क्या प्रभाव पडेगा यह भी एक शोध का अच्छा विषय हो सकता है।”
भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएन चौधरी ने कहा "शोधार्थी के सामने सबसे पहले यह समस्या आती है कि कौन सा विषय चुने ,मेरे  मानने में अगर शोधार्थी छतीसगढ़ के बस्तर, महाराष्ट्र के किसानों पे और बिहार के पलायन तथा हर किसी राज्य की कुछ न कुछ समस्याएं हैं इनमे शोध करे तो समाज के लिए भी बेहतर होगा।”
पत्रकार राहुल देव ने कहा “ शोध की  निष्कर्ष से शुरुवात न करे मौलिक चिंतन, जिज्ञासा के साथ शोध की शुरुवात करेंगे तो मौलिक शोध को बढ़ावा मिलेगा. आगे उन्होंने कहा  स्तरी शोध के शोधार्थी सामने आयें यही निर्णायक मंडली की चाह है।”
जैसे की ज्ञात हो हिंदी में मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति की शुरुआत की जा गयी है । दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के अंतर्गत साहित्य से इतर अन्य विषयों मसलन राजनीति शास्त्र,समाज शास्त्र,इतिहास और कूटनीति आदि में हिंदी में मौलिक शोध कराने के लिए शोधार्थियों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे  हैं। आवेदन सिर्फ ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे जिसकी अंतिम तिथि 31दिसम्बर 2017 है । आवेदनकर्ताओं को संबंधित विषय पर 1000 शब्दों में एक सिनॉप्सिस भेजना होगाजिसके आधार पर दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति का सम्मानित निर्णायक मंडल मंथन कर विषय और शोधार्थी का चयन करेंगे। चयनित विषय पर शोधार्थी को कम से कम छ: महीने और अधिकतम नौ महीने के लिए दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति दी जाएगी। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के लिए अंतराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक हर महीने पचहत्तर हजार रुपए मानदेय दिए जाने का प्रावधान है। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के दौरान चयनित शोधार्थी को हर तीन महीने पर अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। शोध की समाप्ति के बाद शोधार्थी को करीब दो सौ पन्नों की एक पुस्तक प्रस्तुत करनी होगी। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के तहत किए गए शोधकार्य के प्रकाशन में दैनिक जागरण मदद करेगा लेकिन पुस्तक पर शोधार्थी का सर्वाधिकार सुरक्षित होगा ।
दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति में आवेदन करने के लिए और अपने शोध की रूपरेखा प्रस्तुत करने के लिए कृपया  पर WWW.JAGRANHINDI.IN लॉग इन करें। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के नियम और शर्तें भी इस बेवसाइट पर हैं। 

COntent is provided by संतोष कुमार  9990937676

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