🌙 देवशयनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व, व्रत कथा व पूजन विधि
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, परंतु देवशयनी एकादशी का स्थान इन सभी में सर्वोपरि माना जाता है। इसे हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी और आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
📅 देवशयनी एकादशी 2025 की तिथि
👉 तारीख: 25 जून 2025, बुधवार
👉 एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 जून 2025, रात 08:35 बजे
👉 एकादशी तिथि समाप्त: 25 जून 2025, शाम 06:50 बजे
👉 पारण (व्रत खोलने का समय): 26 जून 2025, सुबह 05:30 से 08:30 तक
🙏 देवशयनी एकादशी का महत्व
- इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में चले जाते हैं, और चार महीनों तक (चातुर्मास) वहीं विश्राम करते हैं।
- इस अवधि में शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
- यह एकादशी आत्मशुद्धि, साधना, सेवा और संयम का प्रतीक है।
- इस व्रत को करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
🪔 देवशयनी एकादशी व्रत पूजन विधि
- व्रत के दिन प्रातः स्नान कर सात्विक व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाएं।
- तुलसी पत्र, पीले पुष्प, चंदन, दीप, धूप व शंख से पूजा करें।
- भगवान विष्णु के 108 नाम, विष्णु सहस्त्रनाम या श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
- रात्रि को जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण या गरीबों को भोजन कराएं व वस्त्र दान करें।
📖 देवशयनी एकादशी व्रत कथा संक्षेप में
पुराणों के अनुसार, एक समय राजा मान्धाता को अपने राज्य में दुर्भिक्ष का सामना करना पड़ा। नारद मुनि के परामर्श पर उन्होंने देवशयनी एकादशी का व्रत किया, जिससे वर्षा हुई और प्रजा को सुख मिला। तब से इस व्रत को धार्मिक संकटों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
🕉️ चातुर्मास की शुरुआत
देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास प्रारंभ होता है – यह समय साधना, व्रत, संयम और आंतरिक शुद्धि का होता है। साधु-संत इसी अवधि में एक स्थान पर निवास करते हैं और धर्म प्रचार से जुड़ते हैं।
📌 उपसंहार
देवशयनी एकादशी न केवल भगवान विष्णु की उपासना का दिन है, बल्कि यह आत्म-संयम, साधना और भक्ति की परंपरा को जीवित रखने का एक पर्व भी है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं तो इस पावन दिन व्रत अवश्य करें।
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